शुक्रवार, 1 मई 2015

भूकंप की त्रासदी

नेपाल हिला ,भारत हिला और हिला पाकिस्तान ।
न मसीह आए ,न अल्लाह आए न आए भगवान ।
है कौन हिदूं , कौन ईसाई , कौन मुसलमान , 
प्रकृति के आगे हैं बेबस हर इंसान ।
हैं समान उसकी नज़र में,
वहाँ नहीं चलता , बाईबिल,वेद और कुरान ।
अरे ! मत उलझ इस पाखंड में, 
अब जाग जा ! मूर्ख इंसान ।
देखकर दर्द किसी का जो आह ! निकल जाती है ,
बस, इतनी सी बात आदमी को इंसान बना जाती है । 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सार्थक एवं सुन्दर अभिव्यक्ति ! प्रकृति एवं मृत्यु कोई भेद नहीं करती धर्म के आधार पर इंसानों में ! ये पाबंदियां तो सिर्फ इंसान की ही बनाई हुई हैं और इन्हीं की वजह से शायद वह इंसान कहलाने के लायक नहीं रह गया है !

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